चूरू, 04 दिसंबर। जिला कलक्टर डाॅ के के पाठक ने कहा कि तमाम तरह की सरकारी योजनाओं का नीति निर्धारण किसी भी स्थान की आबादी को देखते हुए किया जाता है और योजनाओं के समुचित निर्माण व क्रियान्वयन के लिए जरूरी है कि जन्म व मृत्यु के पंजीयन में शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किए जाएं।
जिला कलक्टर डाॅ पाठक शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जन्म-मृत्यु पंजीयन की जिला स्तरीय समीक्षा बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा शून्य से 10 वर्ष के बालकों के जन्म पंजीयन का विशेष अभियान चल रहा है। इसमें शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल करने के लिए सबसे आसान तरीका यही है कि ग्रामसेवक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और एएनएम के नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने कहा कि जन्म-मृत्यु पंजीयन के लक्ष्य हासिल करना अधिक मुश्किल काम नहीं है, बशर्ते सभी संबंधित अधिकारी व कर्मचारी दायित्व को समझते हुए उसका निर्वहन करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे आपसी समन्वय रखते हुए संवेदनशीलता से कार्य करें और ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म-मृत्यु पंजीयन के लिए लोगों में जागरुकता पैदा करें। उन्होेंने कहा कि जन्म-मृत्यु पंजीयन में शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने वाले कार्मिकों को प्रोत्साहित किया जाएगा तथा इसमें कोताही बरतने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। जिला कलक्टर ने इस मौके पर जिला शिक्षा अधिकारी ( प्रारंभिक) को जिले के सभी राजकीय व मान्यता प्राप्त विद्यालयों में शून्य से 10 वर्ष तक की आयु के सभी बालकों के जन्म पंजीयन के निर्देश दिए। जिला कलक्टर ने सीएमएचओ को निर्देश दिए कि वे भी जन्म-मृत्यु पंजीयन में असहयोग करने वाले निजी चिकित्सालयों पर कार्यवाही करें तथा शत-प्रतिशत पंजीयन करवाया जाना सुनिश्चित करें। बैठक में सभी विकास अधिकारियों केा जन्म-मृत्यु पंजीयन की आवश्यक सूचनाएं समय पर भिजवाने तथा स्वास्थ्य चेतना यात्रा के दौरान किए गए पंजीयनों की रिपोर्ट भिजवाने के निर्देश दिए।
अतिरिक्त कलक्टर बी एल मेहरड़ा ने इस मौके पर कहा कि संबंधित अधिकारी व कर्मचारी इस तरह की कार्यप्रणाली विकसित करें कि ऐसे सामान्य प्रक्रिया के काम स्वतः ही हो जाएं। जिला सांख्यिकी अधिकारी सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के मुताबिक जन्म व मृत्यु की प्रत्येक घटना का पंजीयन कानूनन अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि विभिन्न सरकारी योजनाओं में लाभ उठाने के लिए जन्म पंजीयन प्रमाण पत्रा आवश्यक होता है, इसलिए जरूरी है कि जन्म-मृत्यु की सभी घटनाओं का पंजीयन आवश्यक रूप से हो। उन्होंने बताया कि जनवरी से सितंबर 2009 तक जिले के ग्रामीण क्षेत्रा में 12 हजार 251 जन्म पंजीयन तथा 4059 मृत्यु पंजीयन किये जा चुके हैं, इसी प्रकार नगर पालिका क्षेत्रों में 33 हजार 990 जन्म तथा 06 हजार 555 मृत्यु पंजीयन किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीयन की स्थिति में अत्यंत सुधार की आवश्यकता है।
बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक ओमप्रकाश जांगिड़, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक रतनसिंह पूनिया, मघराज डूडी, महेंद्र गौड़ सहित नगर पालिकाओं, पंचायत समितियों के प्रतिनिधि व संबंधित अधिकारी-कर्मचारी मौजूद थे।
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Friday, December 4, 2009
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